जिसे इन अठारह सालों में नहीं किया
उस काम को आज करने की तमन्ना थी
जिस इज़हार से डर लगता है
उसे आज करना चाहता था
ज़िन्दगी देने वाला कोई और है ये जानता हूँ
पर तुम्हारे साथ चंद खूबसूरत लम्हे जीना चाहता था
जो प्यार आज तक किसी को नहीं दिया
वो कल तुम को देना चाहता था
प्यार तो बहुत दिया दुनिया वालों ने
पर उस में वो एहसास कहाँ
तुम्हारे प्यार को महसूस करना चाहता था
जिन लम्हों को सिर्फ सोचता आया हूँ
उनको हकीकत बनाना चाहता था
ये जानते हुए भी कि तू मेरे नहीं हो सकते
एक बार तुम्हारे दिल को छुना चाहता था
ज़िन्दगी भर का साथ मिले या न मिले
पर कुछ पल तो तेरे साथ जीना चाहता था
कल की मेरी ये ख्वाहिश आज अधूरी रह गयी
फिर भी खुदा से अगर कुछ मांगना हो
तो उसे नहीं उसकी खुशियां मांगता हूँ
आज तू मेरी किस्मत में नहीं
पर तेरी खुशियों में खुश होना शायद नसीब हो
No comments:
Post a Comment