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Wednesday, May 03, 2017

जिन्दगी का सबक

सबक जिंदगी का


 खुशनुमा दौर चल रहा था जिंदगी का कि मुसीबतों ने डेरा डाल सब कुछ हिला दिया
सबक अधूरा ही था अभी जिंदगी काऔर इम्तिहानों के दौर ने जीना सिखा दिया।
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टूटते हौसलों को संभाल रहा था मैं जब देखा न गया ज़माने से तो हर कदम पर नया जाल बिछा दिया |
बदल गया नजरिया हमारा दुनियादारी कापर्दा आंखों से हमने झूठीउम्मीदों का गिरा दिया।
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उठता रहा हर बार मैं गिर-गिर कर मुश्किलों की चट्टानों पर मैंने कामयाबी का निशान बना दिया।
वक्त के साथ बीत गया बुरा दौर जिंदगी काटूटे हुए अरमानों को बटोर हमनेनया मुकाम बना लिया।
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बर्दाश्त न हुआ जो देखने वालों से बर्बाद करने को मुझे हर बार नया राह बना लिया।
गिराते रहे मुझे मेरे अपने हीहर बार गिरते ही मैंनेहौंसला बढ़ा लिया।
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शुक्रगुजार हूं खासकर चाहने वालों का मेरे मुझे बदनाम करने की कोशिशों ने इनकी जमाने भर में “गुमनाम” मेरा नाम बना दिया।
सबक अधूरा ही था अभी जिंदगी का और इम्तिहानों के दौर ने जीना सिखा दिया।
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Ritik rathore__raj

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